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कोई मन का आदर्श हो

गीत

कोई मन का आदर्श हो

मन की धड़कन ,अगर कुछ बताने लगे।
याद सपनों में आकर ,सताने लगे।।
आईना देख कर , मुस्कुराने लगे।
जब गज़ल ही गज़ल गुनगुनाने लगे।।
तो समझ लीजिए प्रीत होने लगी।।1।।

नेह बढ़ने लगे, रूप श्रृंगार से।
इक नदी बेग दिखलाए, जब धार से।।
प्रीत की बात सोचे, वो विस्तार से।
और नज़र डबडबाने लगे खार से।।
तो समझ लीजिए प्रीत होने लगी।।2,।।

कल्पनाओं में बसता हुआ हर्ष हो।
जिंदगी में भले कितना संघर्ष हो।।
भावनाओं का भावों से स्पर्श हो।
और रावत कोई मन का आदर्श हो।।
तो समझ लीजिए प्रीत होने लगी।।3।।
रचनाकार ✍️
भरत सिंह रावत
भोपाल मध्यप्रदेश

प्रतियोगिता हेतु

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6 Comments

Ravi Goyal

15-Dec-2021 09:33 AM

वाह बहुत खूबसूरत रचना 👌👌

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Shrishti pandey

15-Dec-2021 12:39 AM

Nice one

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Abhinav ji

14-Dec-2021 11:52 PM

Awsome

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